महाकाल की चौथी सवारी में पर्यटन की झलक: नंदी रथ पर उमा-महेश, जनजातीय नृत्य और मध्यप्रदेश की विरासत की झांकियां

महाकाल की चौथी सवारी में पर्यटन की झलक: नंदी रथ पर उमा-महेश, जनजातीय नृत्य और मध्यप्रदेश की विरासत की झांकियां

उज्जैन

 श्री महाकालेश्वर मंदिर से निकलने वाली चौथी सवारी सोमवार, 4 अगस्त को एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन का स्वरूप लेगी। धार्मिक आस्था और पर्यटन को एक सूत्र में पिरोती यह सवारी इस बार कई मायनों में विशेष होगी।

इस वर्ष सवारी के साथ नंदी रथ पर भगवान श्री उमा-महेश की प्रतिमा विराजमान होगी। साथ ही, पर्यटन पर आधारित झांकियां और जनजातीय लोक नृत्य दल कार्यक्रम में चार चाँद लगाएंगे।

🌿 पर्यटन की थीम पर आधारित झांकियां

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप, चौथी सवारी में मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की झांकियां श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगी। इसमें शामिल हैं:

  • वन्यजीव पर्यटन: कान्हा, पेंच, रातापानी और पन्ना टाइगर रिजर्व

  • धार्मिक स्थल: उज्जैन का सांदीपनि आश्रम और ओंकारेश्वर का एकात्मधाम

  • ऐतिहासिक धरोहर: ग्वालियर, चंदेरी के किले और खजुराहो के मंदिर

  • ग्रामीण पर्यटन: ओरछा के होमस्टे और मंदिर

🎭 लोक संस्कृति की प्रस्तुति

चार प्रमुख जनजातीय और लोक नृत्य दल सवारी में पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करेंगे:

  • भगोरिया नृत्य (धार) – मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में

  • भड़म नृत्य (छिंदवाड़ा) – मोजीलाल डाडोलिया

  • मटकी नृत्य (उज्जैन) – कृष्णा वर्मा के नेतृत्व में

  • सैला नृत्य (सिवनी) – राहुल धुर्वे के निर्देशन में

🚩 सवारी की परंपरा और मार्ग

भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की पालकी, श्री मनमहेश हाथी पर और श्री शिव-तांडव गरुड़ रथ पर विराजेंगे। सवारी शाम 4 बजे मंदिर से निकलेगी और निम्न मार्ग से होकर गुजरेगी:

मार्ग: महाकाल चौराहा → गुदरी चौराहा → बक्षी बाजार → कहारवाड़ी → रामघाट (जहां शिप्रा नदी से अभिषेक) → रामानुजकोट → मोढ़ की धर्मशाला → कार्तिक चौक → सत्यनारायण मंदिर → ढाबा रोड → टंकी चौराहा → छत्री चौक → गोपाल मंदिर → पटनी बाजार → गुदरी बाजार → महाकाल मंदिर वापसी।

सवारी के साथ पुलिस बल, घुड़सवार, होमगार्ड, भजन मंडली, पुलिस बैंड और झांझ दल भी सम्मिलित रहेंगे। मंदिर के बाहर भगवान को पुलिस द्वारा सलामी दी जाएगी।

🙏 आस्था और पर्यटन का संगम

सावन की हर सवारी एक धार्मिक उत्सव से बढ़कर सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन चुकी है। इस बार चौथी सवारी में श्रद्धा के साथ-साथ मध्यप्रदेश की विविधता, संस्कृति और पर्यटन की झलक भी दिखाई देगी।

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